नवीन चौहान.
सिलक्यारा टनल के अंदर फंसी 41 जिंदगियों पर पल पल का इंतजार भारी पड़ रहा है। 14 दिन हो चुके हैं उन्हें टनल के अंदर फंसे हुए लेकिन अभी तक उनके बाहर निकलने के लिए सुगम रास्ता तैयार नहीं हो सका है। राहत कार्य में जुटी टीम एक कदम आगे बढ़ती है लेकिन दूसरे ही कदम पर उनके पैर ठिठक जाते हैं। ड्रिल मशीन के सामने सरिया और लोहे के गाटर आने से बार बार मशीन को रोकना पड़ रहा है।
अंदर फंसे मजदूरों को जहां बाहर निकलने का इंतजार हो रहा है वहीं उन्हें सकुशल देखने के लिए सुरंग के बाहर परिजनों की आंखें पथरा रही हैं। मौके पर मौजूद टीम लगातार अभियान में जुटी है। हर वह संभव प्रयास किया जा रहा है जिससे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। मौके पर मौजूद एनडीआरएफ की टीम ने अब तक डाले गए पाइप के अंदर रेस्क्यू की मॉक ड्रिल भी करके देख ली है।
मशीन के सामने एक बार फिर से लोहे के सरिए आने से मशीन को रोकना पड़ गया, वरना उम्मीद की जा रही थी कि देर रात तक मजदूरों तक पाइप पहुंचाकर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। राहत की खबर ये भी है जब कल सरिये को काटने के लिए गैस कटर चलाया गया तो उसके धुएं की गंध टनल में फंसे श्रमिकों ने महसूस की और उसे वॉकी टॉकी पर बातचीत के दौरान बाहर टीम को बताया।
ड्रिल करते समय मशीन के सामने बार बार अवरोध आने से अब एक विकल्प ये भी सुझाया गया है कि अंदर फंसे श्रमिकों से अंदर की ओर से थोड़ा थोड़ा मलबा हटवाकर बाहर निकलने का रास्ता आसान कराया जाए। अब देखना यही है कि श्रमिकों को बाहर का सूरज कब देखने को मिलेगा। अधिकारियों का कहना है कि नई मशीन को भी तैयार कर लिया गया है जो ऊपर की ओर से ड्रिल कर अंदर फंसे मजदूरों तक पहुंचने का रास्ता बनाएगी।
ड्रिल के दौरान कोई पानी का स्त्रोत न आए इसके लिए सभी जांच की जा रही है। यदि पानी का स्त्रोत रेस्क्यू के दौरान सामने आया तो फिर यह गंभीर संकट पैदा हो जाएगा। बरहाल एक ओर जहां टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है वहीं उनकी सलामती के लिए पूजा अर्चना भी की जा रही है।