वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट की रग—रग में उत्तराखंड




नवीन चौहान 

उत्तराखंड आंदोलनकारी एवं वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट की रग—रग में उत्तराखंड बसता है। उत्तराखंड के चंहुमुखी विकास का सपना उनकी आंखों में हर पल चमकता है। उत्तराखंड की युवा शक्ति अपनी माटी में रहकर अपने सपने पूरे करे। रोजगार की तलाश में युवाओं को अपने घर से पलायन ना करना पड़े। उत्तराखंड राज्य देश का सिरमौर बना रहे। विश्व पटल पर उत्तराखंड को ख्याति मिले। कुछ इसी उम्मीद के साथ प्रदेश सरकार को नींद से जगाने के लिए वरिष्ठ पत्रकार योगेश भट्ट की कलम सत्ताधारी पार्टी की मुखालफत करती है। सरकार की गलत नीतियोें की आलोचना करती है। उनकी कलम से लिखे गए एक—एक शब्द में उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति से उबारने की दिशा में एक उम्मीद की किरण दिखाई देती है।
मिलेनियम वर्ष 2000 की तारीख 9 नवंबर का वो दिन था जब उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया। इस राज्य के गठन से पहले यहां की मातृ शक्ति से लेकर बच्चे, बूढे और जवानों ने पुरजोर तरीके से आंदोलन किया। अपने छाती पर गोलियां खाई और प्राणों की आहूति दी। तमाम जन आंदोलन के बाद 9 नवंबर 2000 को 13 जनपदों में समाहित इस उत्तराखंड राज्य की स्थापना की गई। ​उत्तर प्रदेश से वि​भाजित होने के बाद उत्तराखंड के युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने के मानों पंख से लग गए थे।

उत्तराखंड राज्य के सपने को पूरा करने में महती भूमिका अदा करने वाले क्रांतिकारी पत्रकार योगेश भटट भी शामिल रहे। योगेश भटट ने भूख हड़ताल की, पुलिस के डंडे खाए और जेल भी गए। योगेश भटट ने उत्तराखंड राज्य बनने तक आंदोलन की हवा को कम नही होने दिया। आंदोलन करने के आरोप में योगेश भटट पर 13 मुकदमे दर्ज हुए तथा करीब दो माह विभिन्न जेलों में गुजारे। नतीजा ये रहा कि उत्तराखंड एक पृथक राज्य बन गया। राज्य गठन के बाद नित्यानंद स्वामी की अंतरिम सरकार में ही योगेश भटट को आंदोलनकारी का दर्जा मिला तथा सरकारी नौकरी का आफर मिला। लेकिन योगेश भटट ने पत्रकारिता को ही अपना कैरियर चुना।
वरिष्ठ पत्रकार योगेश भटट ने विगत दो दशकों में तमाम बड़े अखबारों में कार्य करते हुए प्रदेशहित में कई बड़े भ्रष्टाचार को उजागर किया। योगेश भट्ट की मंशा सिर्फ उत्तराखंड के विकास को लेकर थी। लेकिन दो दशकों में उत्तराखंड आगे बढ़ने की वजाय काफी पीछे चला गया। लेकिन योगेश भटट ने यहां भी हिम्मत नही हारी। उन्होंने अपनी लेखनी के जरिए सरकार को नींद से जगाने का काफी प्रयास किया। प्रदेश में सरकार कांग्रेस की या भाजपा की लेकिन योगेश भटट की लेखनी में कोई बदलाव नही आता। सरकार की गलत नीतियों की आलोचना होती है। सरकार पर करारा प्रहार होता है। योगेश भट्ट स्वयं में एक मजबूत विपक्ष बनकर सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करते है। हालांकि योगेश भट्ट के मित्रबंधु उनको एक कट्टर आलोचक तो मानते है। लेकिन उनकी मनोदशा को समझने में नाकाम रहते है। एक युवा जिसने जवानी के सबसे खूबसूरत दिन आंदोलनकारी बनकर डंडे खाने में गुजारे हो। जिसको अपने पहाड़ की मिट्टी से असीम प्रेम हो। वह राज्य की दुर्दशा पर चुप कैसे रह सकता है। यही कारण है कि विपक्षी पार्टी सरकार की आलोचना करने में चुप हो जाए। लेकिन योगेश भटट की कलम सच लिखने में कभी नही रूकेगी। योगेश भट्ट जैसे उत्तराखंड के सच्चे सपूत के रहते राज्य में भ्रष्टाचार उजागर होते रहेंगे। ईमानदार अफसरों का मनोबल बढ़ेगा तो भ्रष्टाचारियों को मुंह की खानी पड़ेगी। योगेश भटट का मानना है कि उत्तराखंड की निगेहबानी करने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
उनका मानना है कि अगर राज्य हमारे संघर्ष से बना है तो हम सभी नागरिकों को राज्य की व्यवस्था को दुरस्त बनाकर रखने के लिए अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा।
वैसे अपने पाठकों के लिए बताते चले कि योगेश भटट मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण है। वह जीव जंतु, प्रकृति और मानव सभी से भरपूर प्रेम करते है। पत्रकार साथियों के हितों की रक्षा करने के लिए सदैव पहली पंक्ति में खड़े रहते है। उत्तराखंड के पत्रकारों में उनकी गिनती एक आदर्श व्यक्तित्व में की जाती है। हमारी तरफ से उनको जन्मदिन की बहुत—बहुत हार्दिक शुभकामनाएं।
वरिष्ठ पत्रकार योगेश भटट के जन्मदिन पर विशेष



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