नवीन चौहान, हरिद्वार। मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दे कुछ इसी सूत्र वाक्य के साथ कोटा क्लासेज के डायरेक्टर मेडिकल और इंजीनियरिंग के बच्चों को शिक्षा का ज्ञान दे रहे है। और इतनी ही खामोशी से आय से अधिक संपत्ति अपने लिये अर्जित करने में लगे थे। लेकिन डायरेक्टर की संपत्ति अर्जित करने की इस खामोशी को आयकर विभाग की टीम ने छापेमारी कर तोड़ दिया है। इनकम टैक्स की टीम ने हरिद्वार और ऋषिकेश के कोटा क्लासेज के संस्थानों के सभी दस्तावेज कब्जे में ले लिये है। जिसके बाद इंस्टीट्यूट पर जुर्माने का निर्धारण किया जायेगा।
करीब एक दशक पूर्व कोटा क्लासेज इंस्टीट्यूट हरिद्वार शाखा को किराये की एक बिल्डिंग में खोला गया था। कोटा क्लासेज ने मेडिकल और इंजीनियरिंग के छात्रों को पढ़ाना शुरू किया। इंस्टीटयूट की भारी भरकम फीस बच्चों से ली जाने लगी। जिसके बाद कोटा क्लासेज इंस्टीट्यूट सफलता की ओर बढ़ने लगा। इंस्टीट्यूट की तरक्की का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि किराये के जिस भवन में ये संस्थान चलाया जा रहा कोटा क्लासेज ने उसे ही खरीद लिया। उस भवन का पूर्व स्वामित्व हासिल कर लिया। लेकिन कमाये गये धन से भारत सरकार का टैक्स सही ढ़ंग से नहीं चुकाया गया। जिसके बाद इस संस्थान की ऋषिकेश शाखा का शुभारंभ किया गया। दोनों ही इंस्टीटयूट की कमाई का सही आय का ब्यौरा आयकर विभाग को नहीं दिया गया। आयकर विभाग की नजर इंस्टीट्यूट के खातों पर गई तो गड़बड़ी होने का खुलासा हुआ। जिसके बाद आयकर विभाग की टीम ने संस्थान पर छापामार कर सभी, कंप्यूटर की हार्ड डिक्क, रसीद बुक व तमाम दस्तावेजों को कब्जे में ले लिया। अब आयकर विभाग की टीम इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर से टैक्स चोरी करने की पूरी जानकारी जुटायेगी। बच्चों से फीस को नकदी में लिया जाता था ये सब पता लगाया जायेगा। कुछ बच्चों की संख्या कितनी है, कुल कितने बैच चल रहे है। चैक से कुल कितने बच्चे फीस देते है। इस रकम को किस तरह समायोजित करते है ये सब पता लगाया जायेगा। बच्चों से ली जाने वाली फीस और सरकार को जमा कर में अंतर का पता लगाया जायेगा। इनकम टैक्स के वरिष्ठ अधिवक्ता तनुज वालिया ने बताया कि आयकर विभाग किसी भी संस्थान के गत पुराने वर्षो के टैक्स की पूरी जानकारी जुटाकर ही कार्रवाई करती है। इनकम टैक्स छापेमारी, रेड और सर्वे तीन तरह से कार्रवाई करती है। तीनों ही कार्रवाई संस्थान के खातों में गड़बड़ी होने के बाद ही की जाती है। जिसके बाद आयकर विभाग संस्थान के मालिक से जानकारी करता है और जुर्माने निर्धारित करता है।
कोटा का करोड़ों का कारोबार
हरिद्वार के कोटा क्लासेज में मेडिकल की कोचिंग लेने वाले एक बच्चे को 60 से 70 हजार की फीस होती थी। इस एक बैंच में करीब 100 से अधिक बच्चे एक साथ बैठकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते है। करीब पांच बैंच प्रतिदिन चलते है। इससे इंस्टीट्यूट की कमाई का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते है। प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये का कारोबार करने वाला संस्थान आयकर विभाग की आंखों में धूल झोंक रहा था। लेकिन आयकर विभाग ने ये साबित कर दिया कि उनकी आंखों में धूल झोंकना आसान नहीं है। कमाई करोंगे तो सरकार को कर चुकाना ही पडे़गा।