नवीन चौहान, हरिद्वार। देश के सुप्रसिद्ध हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा अपनी हास्य कविताओं के लिये देश में खास मुकाम रखते हैं। लेकिन देश के वर्तमान हालातों और पत्रकारों की दुर्दशा को लेकर वह पूरी तरह से गंभीर है। वह देश में चल रही पत्रकारिता और पत्रकारों को आर्थिक स्थिति को लेकर बेहद चिंतित है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में पत्रकार निष्पक्ष नहीं है। पत्रकार पत्रकारिता की बजाय पेटकारिता कर रहा है। पत्रकार मजबूती से नहीं अपितु मजबूरी में पत्रकारिता कर रहा है। दुनिया के देश कहां से कहां पहुंच गये हैं जबकि हम बंबई को मुंबई और मद्रास को चेन्नई करने में अटके हुये हैं।
उत्तरी हरिद्वार स्थित जयराम आश्रम में कवि सम्मलेन में हिस्सा लेने आये सुप्रसिद्ध हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने बड़ी बेबाकी से पत्रकारों से खुलकर बात कहीं। इस अवसर पर पत्रकारों से वार्ता करते हुये सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि आज के दौर में पत्रकार पूरी तरह से निष्पक्ष नहीं है। पत्रकारिता की जगह पेटकारिता करनी पड़ती है। एक पत्रकार की सोच वही होती है जो उसका मालिक सोचता है। पत्रकार अपनी सोच से कुछ नहीं कर सकता है। आप सभी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते हो। पर कभी मालिक के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई है? क्या वह उतना वेतन देता है जो वेतन आयोग ने निर्धारित किया है? जब पत्रकार मालिक के खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ नहीं बोल पाता है तो ऐसे में साफ जाहिर है कि पत्रकारिता मजबूती से नहीं मजबूरी से की जा रही है। जो आप कहना चाहते हो उस पर बंधन लगा हुआ है।
कविता विचारधारा से नहीं जुड़ सकती
सुरेंद्र शर्मा ने युवा कवियों के लिये कहा कि आप विचारधारा से जुड़ सकते है। लेकिन आपकी कविता विचारधारा से नहीं जुड़ सकती है। जो देश तोड़ने की बात करता है, आदमी को आदमी से तोड़ने की बात करता है, मीडिया उसे छापना और दिखाना बंद करदे तो देश पर बड़ा उपकार होगा। उन्होंने कहा कि हमारा देश बंबई को मुंबई और मद्रास को चेन्नई करने में लगा हुआ है। जबकि दुनिया के देश तरक्की करने में लगे हुये हैं।