नवीन चौहान
हरिद्वार पुलिस की वो डायरी कहां गुम हो गई, जिसमें सेक्स रैकेट से जुड़े तमाम सफेदपोशों के नाम दर्ज है। पुलिस इन तमाम सफेदपोशों से पूछताछ करने का दावा करती रही है। लेकिन वक्त के साथ—साथ पुलिस की वो डायरी भी दफन हो गई है। इन तमाम सफदपोशों के नाम सेक्स रैकेट की गिरफ्तारी के बाद चर्चाओं में आते है। पुलिस पूछताछ की बात कहकर सफेदपोशों की नींद उड़ाती रही है। कुछ सफदेपाशों का पुलिस को नमस्ते करने का अंदाज तक बदला हुआ नजर आया। कुछ वक्त के बाद सब हवा—हवाई हो जाता है। पुलिस की वो डायरी गुमनामी में चली जाती है। सफेदपोश बेखौफ हो जाते है।
बताते चले कि नगर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी महेंद्र सिंह नेगी ने अपने कार्यकाल में हरिद्वार के जिस्मफरोशी के काम पर अंकुश लगाने के लिए मुखबिर तंत्र को बेहद ही सक्रिय किया था। मुखबिरों की सटीक सूचना पर छापेमारी की जाती थी। जिसके बाद दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और यूपी की कॉलगर्ल की हरिद्वार के होटलों से गिरफ्तारी होती थी। कॉलगर्ल से पूछताछ होती थी तो कई चौकाने वाली बात निकलकर सामने आती थी। सबसे चकित करने वाली बात हरिद्वार के कई होटल मालिकों, संचालकों की मिलीभगत की आती थी। पुलिस कॉलगर्ल की गिरफ्तारी के बाद जब खुलासा करती थी तो एक बात बताना नहीं भूलती थी। सेक्स रैकेट के तार सफेदपोशों से जुड़े है। कॉलगर्ल के मोबाइल में सफेदपोशों के नंबर है। जो उनकी बातचीत होने को तस्दीक करती है। पुलिस का इतना कहते ही सफेदपोशों की नींद गायब हो जाती थी। जबकि पुलिस की यह जानकारी खबरों की सुर्खियां बन जाती थी। लेकिन आज हम बात कर रहे है,पुलिस की उस डायरी की। जिसमें सफेदपोशों के नाम दर्ज है। तो पाठकों की जानकारी के लिए बता दे कि वो डायरी दफन हो चुकी है। इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह नेगी रिटायर हो चुके है। सफेदपोश आनंद ले रहे है। पुलिस की वो डायरी एक रोचक मनोरंजन बनकर रह गई है। लेकिन पुलिस सूत्रों की माने तो पुलिस कॉलगर्ल के मोबाइल में सफेदपोशों का जिक्र ऐसे ही नही करती। पुलिस के दावे में पूरी सच्चाई है। सफेदपोशों के नाम भी है। पर वो डायरी गुमनामी में दफन है। इस डायरी का गुमशुदा होना भी समाजहित में ही है। क्योकि थाने के खर्चे पानी में इन सफेदपोशों की भूमिका भी अहम है।