IAS ANSHUL SINGH दिव्यांग और बुजुर्गो की समस्या सुनने खुद खड़े रहे अंशुल सिंह, एचआरडीए में हड़कंप





नवीन चौहान
हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण की भ्रष्ट छवि को सुधारने की कवायद में जुटे प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अंशुल सिंह ने इंसानियत की अनूठी मिशाल पेश की। जिसके देखने के बाद प्राधिकरण के तमाम अधिकारी और कर्मचारी बगले झांकने लगे। एक दूसरे से कानाफूसी करने लगे। प्राधिकरण के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की समझ में आने लगा है कि अब ढींगा मस्ती नही चलेगी। व्यवस्थाओं में बदलाव करना होगा और अपनी कार्यशैली में भी सुधार करना होगा। जनता को सर्वोपरि मानकर उनकी समस्याओं का प्राथमिकता से निस्तारण करना होगा। अगर अपने आचरण में बदलाव नही किया तो गाज गिरना तय है।


ऐसा ही कुछ नजारा गुरूवार की दोपहर करीब तीन बजे देखने को मिला। हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अंशुल सिंह अचानक प्राधिकरण के तमाम कक्षों का निरीक्षण करने पहुंच गए। उन्होंने एक—एक करके कई कर्मचारियों की कार्यशैली को देखा और आगे बढ़ते रहे। इसी दौरान उनकी नजर अपने कार्यालय के बाहर खड़े एक बुजुर्ग दंपति और एक दिव्यांग महिला पर गई। अंशुल सिंह निरीक्षण कार्य छोड़कर तत्काल तेज कदमों से बुजुर्ग दंपति की ओर बढ़े। उन्होंने सबसे पहले बुजुर्गो को बैठने का आग्रह किया। तथा प्राधिकरण आने का कारण पूछा। तभी बुजुर्ग दंपति ने बताया कि वह रूड़की से आए है। उनकी दुकान के मानचित्र को लेकर कुछ समस्या है। जिसके बाद अंशुल सिंह ने तत्काल रूड़की शाखा कार्यालय के अधिकारियों को बुजुर्गो की समस्या का समाधान करने का निर्देश दिया। प्राधिकरण के कर्मचा​री को आदेशित किया कि बुजुर्गो से नगर आयुक्त के नाम प्रार्थना पत्र लिखाकर उनकी समस्या को दूर करने को कहा। बुजुर्गो की आंखों में चमक दिखाई दी तथा आईएएस अंशुल सिंह के लिए आशीष था। तथा प्राधिकरण की छवि को लेकर उनके मन में एक अलग अनुभव दिखाई दिया। इसी दौरान एक दूसरी दिव्यांग महिला ने अपनी समस्या बताने को लेकर इंतजार कर रही थी। हालांकि वह दिव्यांग महिला भी बुजुर्गो के साथ ही वहां काफी देर से खड़ी हुई थी। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अंशुल सिंह ने बुजुर्गो के साथ—साथ इस दिव्यांग महिला को अभिवादन किया और कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया। लेकिन अंशुल सिंह के सम्मान में कोई बैठा नही और खड़े खड़े ही अपनी समस्या बताते रहे। हालांकि बाद में दिव्यांग महिला कुर्सी पर बैठकर अपनी समस्या बताने लगी। अंशुल सिंह ने दिव्यांग महिला को संतुष्ट किया और उनकी समस्या के समाधान करने का तरीका बताने के साथ ही अधिकारियों को निर्देशित किया। अंशुल सिंह की कार्यशैली को देखने के बाद प्राधिकरण में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। मानो हरिद्वार रूड़की विकास प्राधिकरण की व्यवस्था में अब परिवर्तन होना तय है।
युवा आईएएस अफसर अंशुल सिंह मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण है। जनता की सेवा अपना धर्म समझते है। उत्साह से लबरेज है। व्यवस्थाओं में सुधार करना उनकी कार्यशैली में शुमार है। अफसरशाही के दौर में अंशुल सिंह का जनता को अभिवादन करके उनकी समस्याओं को सुनने का तरीका बेहद की चौंकाने वाला है। जबकि प्राधिकरण के कर्मचारियों के लिए यह पूरा घटनाक्रम एक सबक है। संभावना है कि उपाध्यक्ष अंशुल सिंह की कार्यशैली से कर्मचारियों के आचरण में बदलाव होगा और जनता को सर्वोपरि मानकर उनकी समस्याओं का निस्तारण होगा।



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