काजल राजपूत की रिपोर्ट..
हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनावी रोमांच परवान चढ़ रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत की जीत के लिए माहौल बनाने में लगे उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी मित्रों ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया है। पुत्र मोह में फंसे हरदा अपने ही कांग्रेसी साथियों के आरोपों से मुकाबला कर रहे है।
वहीं निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार सेंधमारी करने में पूरी ताकत झोंक रहे है। हालांकि उमेश की पकड़ ग्रामीण विधानसभा के कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत का पलड़ा भारी दिखाई पड़ रहा है।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर बेहद ही दिलचस्प है। इस सीट से विजयश्री वरण करने वाले प्रत्याशी का समूचे विश्व में प्रभाव रहता है। मां गंगा के तट से निकलने वाला संदेश पूरे विश्व में सुनाई पड़ता है। ऐसे में हरिद्वार लोकसभा सीट पर चुनाव भी बेहद रोमांचक होता है। लेकिन टिकट वितरण के मामले में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस शुरूआती दौर से ही पिछड़ गई।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को नकारते हुए पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया। वीरेंद्र का टिकट होते ही कांग्रेस छोड़ने वालों में भगदड़ मच गई। हरदा के करीबी नेताओं ने किनारा कर लिया। कांग्रेस छोड़ने वालों का यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। सबसे बड़ी बात कि पुरूषोत्तम शर्मा, संजय महंत, तोष जैन जैसे खास करीबी भी कांग्रेस छ़ोड़कर भाजपा में शामिल हो गए।
निर्दलीय उमेश की बात करें तो वह ग्रामीण इलाकों में एक धर्म विशेष के लोगों के बीच में अपना वर्चस्व कायम करने के प्रयास में जुटे है। वहीं भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी और अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में हरिद्वार के लिए किए गए कार्यों की उपलब्धियां गिनाकर पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। फिलहाल भाजपा की स्थिति बहुत मजबूत है। लेकिन भीतरघात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।