डीएवी के प्रधानाचार्य ने ऑटो चालक के पोते को दे दिया एडमिशन तो छलक गए खुशी के आंसू





नवीन चौहान
स्कूल के प्रधानाचार्य का नाम सुनते ही बच्चों के मन में एक कड़क रौबदार आवाज और चेहरे पर क्रोध का भाव वाले इंसान की छवि घूमने लगती है। स्कूली बच्चे प्रधानाचार्य के पैरों की आहट सुनते ही शांत मुद्रा में नजर आते है। प्रधानाचार्य के कक्षाओं का निरीक्षण करने के दौरान सभी कक्षाओं में तो पिन ड्राप साइलेंस का वातावरण बन जाता है। लेकिन आज हम हरिद्वार के एक पूर्व प्रधानाचार्य की बात कर रहे है। जिन्होंने स्कूल को शिक्षा का मंदिर मानते हुए करीब एक दशक तक पुजारी बनकर सेवा की। बच्चों को अक्षरज्ञान के साथ—साथ शिक्षा, संस्कृति और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत किया। अपने स्कूल को हरिद्वार के अग्रणी स्कूलों की कतार में प्रथम पंक्ति में लाकर खड़ा किया।
जी हां हम बात कर रहे है हरिद्वार के जगजीतपुर स्थित डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर के पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित जी की। जिन्होंने एक आटो चालक के सपने को पूरा करने के लिए उसके पोते को एडमिशन दिया।
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित यूं तो अपने कार्यकाल में कई उल्लेखनीय कार्य कर रहे है। लेकिन आज हम उनके कार्य दिवसों की एक घटना का जिक्र कर रहे है। एक आटो चालक रोजाना बच्चों को स्कूल छोड़ने आता था। स्कूल का नाम और ख्याति प्रसिद्ध थी। स्कूल के शिक्षा के स्तर और संस्कारों की चर्चा दूर दूर तक फैल चुकी थी। प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित के अनुशासन, सादगी और सरलता की बातें भी अभिभावकों में आम हो चुकी थी। आटो चालक के मन में अपने पोते को स्कूल में पढ़ाने के सपने पलने लगे। स्कूल गेट के सामने खड़े होकर दूसरे बच्चों के बीच अपने पोते को पढ़ता देखने के सपने आटो चालक खुली आंखों से देखने लगा। इसी दौरान एक दिन तत्कालीन प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित जी राउंड पर निकलने के बाद स्कूल गेट की तरफ गए। तभी उनकी नजर बुजुर्ग व्यक्ति पर गई। बुजुर्ग टकटकी लगाए स्कूल की तरफ देख रहा था। प्रधानाचार्य को देख आटो चालक के कदम ठिठक गए। वह पीछे की तरफ जाने लगा। प्रधानाचार्य ने स्कूल गेट पर खड़े होने का कारण पूछा तो अचानक बुजुर्ग आटो चालक के मुंह से मन की बात निकल गई। आटो चालक बोला क्या गरीब के बच्चे को एडमिशन मिल सकता है। मेरा पोता यहां पढ़ सकता है।
प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित जी ने जब यह बात सुनी तो उन्होंने कहा कि आप फीस भर सकते है। आटो चालक के चेहरे पर चमक दिखाई दी। उसने खुशी—खुशी बोला कि सर आप एडमिशन देंगे तो मैं फीस जमा कर दूंगा।
प्रधानाचायं पीसी पुरोहित जी वहां से चुपचाप अपने कक्ष की तरफ चले गए। अगली सुबह आटो चालक के सपने पूरा होने का दिन था। स्कूल के सुरक्षाकर्मी ने आटो चालक को प्रधानाचार्य के कक्ष में जाने के लिए बुलाया। आटो चालक के पोते को एडमिशन मिल गया। प्रधानाचार्य ने बच्चे को मन लगाकर पढ़ने का आशीर्वाद दिया। बुजुर्ग आटो चालक की आंखों में खुशी के आंसू थे।
हालांकि पीसी पुरोहित जी अब प्रधानाचार्य पर से रिटायर्ड हो चुके है। उनके स्थान पर वर्तमान प्रधानाचार्य मनोज कपिल जी स्कूल का संचालन उनके ही मार्गदर्शन में कर रहे है। वर्तमान प्रधानाचार्य मनोज कपिल जी के संस्कारों की बात यह है कि स्कूल के संबंध में वह आज भी पूर्व प्रधानाचार्य पीसी पुरोहित जी के अनुभवो्ं का उपयोग कर रहे है। डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में संस्कारों और पूर्व प्रधानाचार्य के सम्मान की यह परंपरा ही अन्य स्कूलों में श्रेष्ट बनाती है।

डीएवी स्कूल के वर्तमान प्रधानाचार्य मनोज कपिल जी स्कूली बच्चों में ​शिक्षा और संस्कारों की अलख जगाने में लगे है। स्कूल की परंपराओं का निर्वहन कर रहे है। डीएवी प्रबंधकृत समिति नई दिल्ली के प्रधान श्रीमान पूनम सूरी जी के निर्देशों के अनुरूप स्कूल का संचालन कुशलतापूर्वक कर रहे है। फिलहाल स्कूल में शिक्षण कार्य सुचारू रूप से चल रहा है और अपने बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए तमाम बड़े—बड़े लोगों के सपने अधूरे है।



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